स्मॉग वायु प्रदूषण की एक वह अवस्था है, जो धुएं (smoke) और कोहरे (fog) के मिश्रण से बनती है। इसे हिंदी में धुआँसा भी कहा जाता है। स्मॉग तब उत्पन्न होता है जब वाहनों, औद्योगिक धुएं, कोयला जलाने से निकलने वाले धुएं, पराली जलाने और अन्य प्रदूषकों से निकलने वाली गैसें और कण वायुमंडल में मौजूद नमी (कोहरा) में मिल जाते हैं।
यह मिश्रण दृश्यता (visiblity) को कम करता है और सांस लेने वाले तंत्र तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
स्मॉग में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ग्राउंड लेवल ओजोन, और सूक्ष्म प्रदूषक कण जैसे पीएम 2.5 और पीएम 10 शामिल होते हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों की सूजन, और अन्य श्वसन रोग उत्पन्न कर सकते हैं।
स्मोग क्या है?
स्मॉग वायु प्रदूषण की एक तीव्र अवस्था है, जो धुएं (smoke) और कोहरे (fog) के मिश्रण से बनती है। यह एक मोटी, धुएँ जैसी भूरी-पीली या काली धुंध होती है जो वातावरण में हानिकारक सूक्ष्म कणों और गैसों से भर जाती है, जिससे दृश्यता कम हो जाती है और सांस लेने में समस्या होती है।
मुख्य रूप से वाहनों, औद्योगिक उत्सर्जन, कोयला जलाने, और अन्य प्रदूषकों के कारण बनता है, जो जब कोहरे के साथ मिलते हैं तो यह विकराल रूप धारण कर लेता है। इसका शारीरिक प्रभाव सांस के रोग, आंखों की जलन, फेफड़ों के संक्रमण, और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में होता है।
स्मॉग शब्द "smoke" और "fog" के मेल से बना है और इस शब्द का प्रयोग 20वीं सदी के आरंभ में हुआ था। यह वायु में प्रदूषित कणों की उपस्थिति के कारण वातावरण में धुंध जैसी स्थिति को दर्शाता है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक होती है।
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स्मॉग (SMOG) अथवा धुंध के स्रोत हैं
स्मॉग (Smog) या धुंध के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं:
- वाहनों से निकासी प्रदूषण: पेट्रोल और डीजल चलित वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसें जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) स्मॉग के प्रमुख स्रोत हैं।
- औद्योगिक उत्सर्जन: फैक्ट्री और उद्योगों से निकलने वाला धुआं और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) स्मॉग का बड़ा कारण होता है।
- कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन का जलना: कोयला जलाने से भारी मात्रा में सल्फर युक्त प्रदूषक वायुमंडल में मिलते हैं, जो स्मॉग उत्पन्न करते हैं।
- पराली और वन आग: कृषि में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और वनाग्नि से निकलने वाले प्रदूषक भी स्मॉग का हिस्सा होते हैं।
- प्राकृतिक कारण: कुछ प्राकृतिक घटनाएं जैसे धूल, वनस्पति से निकलने वाले वाष्प भी एक सीमित स्तर तक स्मॉग में योगदान कर सकते हैं।
- पर्यावरणीय कारक: सूरज की रोशनी, वायु की गति न होना (हवा कम चलना), और तापमान इन्वर्जन (उल्टा तापमान परत) जैसी परिस्थितियां स्मॉग के निर्माण को तीव्र करती हैं।
इन स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक जब वायुमंडल में मौजूद नमी और धुएं के साथ मिलते हैं, तब स्मॉग बनता है जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक होता है।
स्मॉग का कैसे पड़ा यह नाम ?
स्मॉग (Smog) शब्द का नाम दो अंग्रेजी शब्दों 'smoke' (धुआं) और 'fog' (कोहरा/धुंध) के मेल से बना है। यह शब्द पहली बार 1905 में लंदन में डॉ. हेनरी एंटोइन दे वूक्स (Dr. Henry Antoine des Voeux ) ने उपयोग किया था।
इसका उद्देश्य वायुमंडल में धुएं और कोहरे के मिश्रण से बनने वाली प्रदूषित, घनी और हानिकारक धुंध को वर्णित करना था, जो पूरी जगह को ढक देती है और सांस लेना मुश्किल कर देती है। इसलिए इसे "smoke + fog" यानी धुआं और कोहरे के संयोजन से बना शब्द कहा जाता है।
इस प्रकार, स्मॉग का नाम इसके गठन के मूल तत्वों, धुएं और कोहरे, के संदर्भ में रखा गया है।
यह ओजोन (O3) को किस प्रकार करता है प्रभावित ?
ओजोन पृथ्वी के ऊपरी हिस्से में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक गैस है, जो हमें सूर्य की UV किरणों से सुरक्षा देता है। लेकिन जमीनी स्तर पर, जो स्मॉग में बनता है, वह एक प्रदूषक के रूप में कार्य करता है। यह सांस के मार्ग को नुकसान पहुंचाता है और आँखों में जलन जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। स्मॉग में मौजूद ओजोन पौधों, जानवरों और मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।
स्मॉग हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
स्मॉग हमारे स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसमें मौजूद विषैले प्रदूषक फेफड़ों और श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य श्वसन समस्याएं उत्पन्न होती हैं। स्मॉग सांस लेने में कठिनाई, गले की खराश, खांसी, छाती में जलन, और आँखों में जलन का कारण बनता है। इसके लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
स्मॉग हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाता है, क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं में सूजन और क्षति कर सकता है। बच्चों, बुजुर्गों, और पहले से श्वसन या हृदय रोग वाले व्यक्तियों में इसके प्रभाव और भी गंभीर हो सकते हैं। स्मॉग से थकान, सिरदर्द, ऊर्जा की कमी, और मानसिक घबराहट जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह जोखिम बढ़ा देता है, क्योंकि इससे जन्म के समय कम वजन और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
स्मॉग में मौजूद सूक्ष्म कण शरीर में सांस के जरिये घुसकर रक्त प्रवाह में पहुंच सकते हैं, जिससे सूजन होती है और रक्त वाहिकाएँ प्रभावित होती हैं। यह प्रदूषित हवा बच्चों में अस्थमा के दौरे और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को भी बढ़ाती है।
इस प्रकार, स्मॉग न केवल हमारे श्वसन और हृदय तंत्र को प्रभावित करता है, बल्कि यह हमारे समग्र स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर भी गंभीर बुरा प्रभाव डालता है।
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स्मॉग से बचाव के उपाय
स्मॉग को कम करने और उससे बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनाई जानी चाहिए:
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की निगरानी रखते हुए प्रदूषण के अधिक स्तर पर घर के अंदर रहना;
- सर्दियों में वाहनों का कम इस्तेमाल और सार्वजनिक परिवहन अपनाना;
- खुले में कूड़ा जलाने से बचना और वैकल्पिक कृषि पद्धतियों का उपयोग करना;
- उद्योगों द्वारा स्वच्छ तकनीक और उत्सर्जन नियंत्रण के उपाय;
- व्यक्तिगत रूप से मास्क का उपयोग करना, खासकर प्रदूषित क्षेत्रों में;
- वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और हरित क्षेत्रों का संरक्षण करना।
स्मॉग के प्रति जागरूकता और भविष्य की दिशा
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, और अन्य महानगरों में स्मॉग की समस्या ने स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन को प्रभावित किया है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसियों और सरकारों को कठोर नियम बनाने और प्रदूषण नियंत्रण की सख्ती बढ़ाने की जरूरत है। लोगों को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा, जिससे हम सभी मिलकर प्रदूषण को कम करने में सक्षम हो सकें।
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इस विस्तृत जानकारी के साथ, स्मॉग की गंभीरता को समझना और इसके विरुद्ध कदम उठाना आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जागरूक रहें और स्वच्छ हवा के लिए प्रतिबद्ध हों।
