क्यों असंभव है कैलाश पर्वत की चोटी तक पहुँचना? Why is it Impossible to Climb Mount Kailash Hindi

कैलाश पर्वत की पर आज तक कोई भी नहीं पहुँच पाया है। इस असंभव से दिखने वाले कार्य के पीछे आखिर कारण क्या है यह कोई नहीं जानता। किन्तु कुछ तथ्यों से इस विषय पर ध्यान देने में सहायता मिलेगी।
कैलाश पर्वत कौन से देश में है ? Mount Kailash Country
कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षसताल झील हैं। यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं – ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि। हिन्दू सनातन धर्म में इसे पवित्र माना गया है।
इस तीर्थ को अस्टापद, गणपर्वत और रजतगिरि भी कहते हैं। कैलाश के बर्फ से आच्छादित 6,638 मीटर (21,778 फुट) ऊँचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर का यह तीर्थ है।
और इस प्रदेश को मानसखंड कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया। श्री भरतेश्वर स्वामी मंगलेश्वर श्री ऋषभदेव भगवान के पुत्र भरत ने दिग्विजय के समय इसपर विजय प्राप्त की। पांडवों के दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त किया था।
युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में इस प्रदेश के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और याक के पूँछ के बने काले और सफेद चामर भेंट किए थे। इनके अतिरिक्त अन्य अनेक ऋषि मुनियों के यहाँ निवास करने का उल्लेख प्राप्त होता है।
कैलाश पर्वत पर कौन वास करते हैं यह हम सबको पता है, किन्तु क्यों कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करना असंभव का काम यह बात कभी सोची है। कहानियों में यह सुना जाता है कि एक रहस्यमय तिब्बती सिद्ध पुरुष और कवि जिसका नाम मिलारेपा था, वह एकमात्र इंसान थे जो कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़ने में सक्षम थे और यह कहानी भी 900 साल पुरानी मानी जाती है। मिलारेपा के अतिरिक्त आज तक कोई भी mount Kailasha की मुख्य चोटी तक नहीं पहुँच पाया है।
कैलाश पर्वत की ऊँचाई कितनी है?
कैलाश पर्वत की ऊँचाई ६,६३८ मीटर (6638 Meters ) है।
क्या हमने कभी सोचा है की ऐसा कौन सा रहस्य है जो इस पर्वत पर चढ़ने से रोक रहा, क्या यह शारीरिक विफलता या अक्षमता के कारण है, या कोई ऐसा रहस्य भी है जो मानव चिंतन से परे है? आइए कैलाश पर्वत के कुछ ऐसे तथ्य जानते हैं जिस से कुछ हद तक इन प्रश्नों के उत्तर ढूढ़ने में सरलता होगी।
Mt. Everest 8848 मीटर (29029 फीट) की ऊंचाई पर है और इसके शिखर को 4,000 से अधिक लोगों द्वारा बढ़ाया गया है, जबकि Mount Kailasha 6638 मीटर (21778 फीट) है और कोई भी इस पर्वत को पूरा फतह नहीं कर पाया है।
क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य?
क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य? क्यों असंभव है कैलाश पर्वत की चोटी तक पहुँचना? कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। साथ ही इस पर्वत को रहस्यमयी, गुप्त और पवित्र माना गया है। इसलिए इसकी परिक्रमा करना शुभ और कल्याणकारी मानी गई है। कैलाश पर्वत के बारे में तिब्बत मंदिरों के धर्म गुरु बताते हैं कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है।
हिन्दू, जैन, बौद्ध एवं Bon यह 4 प्रमुख धर्म हैं जो मानते हैं कि कैलाश पर्वत एक पवित्र स्थान है।
प्राचीन तिब्बती किवदंतियों और लेखों के अनुसार, “किसी भी नश्वर को कभी भी कैलाश पर्वत पर चलने की अनुमति नहीं दी जाती है, जहां बादलों के बीच, देवताओं का निवास है। वह जो पवित्र पर्वत की चोटी शुरू करता है और देवताओं के चेहरे को देखने की हिम्मत करता है, उन्हें मृत्यु प्राप्त होती है।
कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ने की कोशिश करने वाले कई पर्वतारोहियों में से एक Colonel Wilson ने बताया कि “जब उन्हें यह अहसास हुआ कि यात्रा सरल हो चुकी है, तभी अचानक से तेज़ बर्फबारी ने उनका यह काम असंभव कर दिया।”
कैलाश पर्वत कैसे जाएं?
कैलाश पर्वत तक जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता भारत में उत्तराखंड से होकर गुज़रता है लेकिन ये रास्ता बहुत मुश्किल है क्योंकि यहां ज़्यादातर पैदल चलकर ही यात्रा पूरी हो पाती है। दूसरा रास्ता जो थोड़ा आसान है वो है नेपाल की राजधानी काठमांडू से होकर कैलाश जाने का रास्ता।
सर्गेई सिस्टियाकोव, एक रूसी पर्वतारोही जो कैलाश पर न चढ़ पाने का एक चौंकाने वाला तर्क दिया है। वह कहते हैं कि “जब हम पहाड़ के आधार के समीप पहुंचे, तो मेरा दिल तेज़ हो गया था। मैं पवित्र पर्वत के सामने था, जो कह रहे थे कि ‘मुझे हराना असंभव है’। जिसके उपरांत मैं खुद को दुर्बल महसूस करने लगा और उस वातावरण में मुग्ध हो गया। जैसे हमने उतरना शुरू किया, मुझे मुक्ति महसूस होने लगी।”
जो लोग पहाड़ के आस-पास के क्षेत्र का दौरा करते हैं, वह अपने नाखूनों और बालों को 12 घंटों में लम्बाई महसूस करते हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में 2 सप्ताह में होता है! ऐसा माना जाता है कि पहाड़ में एक हवा है जो तेजी से बुढ़ापे का कारण बनती है।
कुछ रूसी वैज्ञानिकों ने बहुत हद तक पहाड़ का अध्ययन किया है और इस विचार को सामने रखा है कि कैलाश पर्वत एक मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है, और यह बहुत बड़ी असामान्य घटना हो सकती है जो दुनिया के अन्य सभी ऐसे स्मारकों को जोड़ती है जहां ऐसी ही असामान्य चीजें हुई हैं। देखे गए।
कैलाश पर्वत को दुनिया का केंद्र माना जाता है जहाँ पृथ्वी और स्वर्ग के बीच, भौतिक दुनिया और आध्यात्मिक दुनिया के बीच स्वर्ग धरती से मिलता है।
क्यों असंभव है कैलाश पर्वत की चोटी तक पहुँचना? Why is it Impossible to climb mount Kailash
बौद्ध, जैन और हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार कैलाश पर्वत मेरु/सुमेरु बौद्ध, जैन और हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार जो कि ब्रह्मांड का आध्यात्मिक केंद्र है।
कैलाश पर्वत पर आज तक कौन पहुंच पाया ?
इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6,638 मीटर है. इसके चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है, जिस पर सालों भर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है. कैलाश पर्वत पर चढना निषिद्ध माना जाता है परन्तु 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढाई की थी
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कई अध्ययनों एवं तथ्यों के उपरांत भी आज तक कोई भी कैलाश पर्वत न चढ़े जाने का सटीक कारण नहीं बता पाया है। 6638 कि ऊंचाई को भी फतह करने में क्या अड़चने आ रहीं हैं यह कोई नहीं जनता। किन्तु यह भी बात सही है कि कुछ चीजों को रहस्य ही रहने दें तो ही अच्छा।
Bahaut Khoon likha hai, aapne aagar kabhi samay mila to jarur Kailash Yatra par Jaungi.
बहुत अच्छा लिखा है सर, मुझे कैलाश पर्वत पर लेख अच्छे लगते हैं