उत्तराखंड में कुदरत का कहर: चमोली और कर्णप्रयाग में अलकनंदा-पिंडर का रौद्र रूप, जनजीवन अस्त-व्यस्त

Mandeep Singh Sajwan

चमोली: उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर से जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। चमोली जिले में कुदरत का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है, जहां नदियां उफान पर हैं और भूस्खलन की घटनाएं लगातार हो रही हैं। कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे कई महत्वपूर्ण संरचनाएं और आवासीय क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। वहीं, थराली क्षेत्र में पिंडर नदी की बाढ़ ने लोगों की मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं। प्रशासन और पुलिस की टीमें लगातार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं, लेकिन कुदरत के इस कहर ने लोगों के दिलों में दहशत भर दी है।

 

उत्तराखंड में कुदरत का कहर: चमोली और कर्णप्रयाग में अलकनंदा-पिंडर का रौद्र रूप, जनजीवन अस्त-व्यस्त

कर्णप्रयाग में जल प्रलय: नमामि गंगे परियोजना जलमग्न

लगातार हो रही बारिश के कारण कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदियों का संगम स्थल पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। यहां नमामि गंगे परियोजना के तहत बने शवदाहगृह, प्रतीक्षालय और शौचालय पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। इतना ही नहीं, मिनी सीवेज प्लांट की नींव भी पानी में समा चुकी है। 

नदी के किनारे बने आवासीय भवनों में रहने वाले लोगों को पुलिस और प्रशासन की टीमें लगातार सतर्क कर रही हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दे रही हैं। भूस्खलन की जद में आए परिवारों को भी सुरक्षित रहने के लिए आगाह किया जा रहा है। 

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर है ताकि किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान से बचा जा सके।

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थराली में पिंडर नदी का विकराल रूप: स्कूल और बाजार डूबे

 

विकासखंड थराली में मूसलाधार बारिश ने आम जनजीवन को पूरी तरह से ठप कर दिया है। पिंडर नदी का विकराल रूप देखकर यहां के लोगों में दहशत का माहौल है। सोमवार रात और मंगलवार सुबह नदी का पानी रामलीला मैदान, शिशु मंदिर, पिंडर जूनियर हाई स्कूल और व्यापारियों के गोदामों में घुस गया, जिससे अफरातफरी मच गई। 

हालांकि, स्कूलों में अवकाश घोषित होने से छात्रों और शिक्षकों को परेशानी कम हुई, लेकिन अब पानी और मलबे के कारण स्कूलों को दोबारा खोलना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

बाढ़ के कारण कई व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान खाली करने पड़े हैं, जबकि कुछ लोग अपने पैतृक घरों में और कुछ रेस्क्यू सेंटरों में शरण लेने को मजबूर हैं। थराली के ऊपरी बाजार क्षेत्र में भी भारी भू-धंसाव की घटनाएं हो रही हैं, जिसने लोगों की बेचैनी बढ़ा दी है। 

थराली से लोल्टी तक का सफर भी अब खतरे से खाली नहीं है। सड़क पर कीचड़, पत्थर और पानी बह रहा है, जिससे आवागमन कई बार बाधित हो रहा है। सड़क पर बड़े-बड़े बोल्डर और पेड़ अटके हुए हैं, जिससे यात्री डरे हुए हैं।

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खाद्यान्न संकट और आवागमन की समस्या

थराली-डूंगरी और थराली-कुराड़-पार्था मोटर मार्ग पिछले 15 दिनों से बंद हैं, जिससे यहां के निवासियों के लिए खाद्यान्न का संकट खड़ा हो गया है। गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

ग्वालदम, जोला, बुड जोला, लोल्टी थाला, तलवाड़ी, मालवजवाड, सिमल सेण, तलवाड़ी खालसा और सेरा बिजपुर जैसे क्षेत्रों में भी भारी भू-धंसाव और दरारें पड़ने से लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं।

थाना अध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया कि लगातार बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, इसलिए किसी भी तरह के नुकसान से बचने के लिए सतर्कता बरती जा रही है। 

पुलिस की टीमें लगातार नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क कर रही हैं और उन्हें कुलसारी राहत शिविरों में भेजा जा रहा है। पिंडर घाटी में तहसील प्रशासन और पुलिस भी लोगों से सुरक्षित और सतर्क रहने की अपील कर रही है।

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लोल्टी कॉलेज पर भी भूस्खलन का खतरा

 बीते 22 अगस्त को आई आपदा ने पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज, लोल्टी को भी अपनी चपेट में ले लिया। कॉलेज की सुरक्षा दीवार टूटने से पूरा भवन खतरे की जद में आ गया है। प्रधानाचार्य लक्ष्मण सिंह ने कहा कि फिलहाल प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर अवकाश घोषित कर दिया है, लेकिन विद्यालय खुलने के बाद बच्चों की सुरक्षित पढ़ाई एक बड़ी चिंता बनी हुई है। मंगलवार को अभिभावकों ने भी एक बैठक कर इस समस्या को अधिकारियों के सामने रखा और इसके समाधान की मांग की।

बैठक में शिक्षक अभिभावक संघ की नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया, जिसमें तेजपाल सिंह गुसाईं को अध्यक्ष चुना गया। नई कार्यकारिणी ने इस बात पर जोर दिया कि वे जल्द ही शासन और प्रशासन से बात कर विद्यालय की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करेंगे।

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उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत के आगे इंसान कितना लाचार है। सरकार और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद, लोग प्राकृतिक आपदाओं के सामने बेबस नजर आ रहे हैं। इस समय सबसे बड़ी जरूरत है कि सभी लोग एक-दूसरे का सहयोग करें और सतर्कता बरतें ताकि किसी भी तरह के बड़े नुकसान से बचा जा सके।

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