उत्तरकाशी: उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है। ताजा घटना उत्तरकाशी जनपद के नौगांव बाजार के स्योरी फल पट्टी की है, जहां बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। इस घटना में देवलसारी गदेरे (स्थानीय नाला) में आए मलबे ने एक आवासीय भवन को पूरी तरह से दबा दिया, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा घरों और दुकानों में पानी भर गया।
हादसे का मंजर
आपदा इतनी भीषण थी कि गदेरे के तेज बहाव में एक मिक्सचर मशीन और कई दुपहिया वाहन बह गए। इसके अलावा, एक कार भी मलबे में फंसकर पूरी तरह दब गई है। खतरे को देखते हुए, आसपास के कई परिवारों ने अपने घर खाली कर दिए हैं और सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं।
पहले इस घटना को अतिवृष्टि (बहुत ज्यादा बारिश) का परिणाम माना जा रहा था, लेकिन बाद में इसकी पुष्टि बादल फटने के रूप में हुई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे घरों और दुकानों में पानी घुस गया है और गाड़ियां मलबे में दबी पड़ी हैं।
आईआईटी रुड़की की चेतावनी: भूकंप से भूस्खलन का बड़ा खतरा
इस आपदा के बीच, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की एक शोध रिपोर्ट ने उत्तराखंड के लिए चिंता बढ़ा दी है। यह रिपोर्ट, जो 2 अगस्त को एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुई थी, बताती है कि उत्तराखंड के चार पर्वतीय जिलों—रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी—में भूकंप से भूस्खलन का बहुत बड़ा खतरा है।
शोध के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिए बेहद संवेदनशील है। यह पहली बार है जब किसी अध्ययन ने जिला-वार जोखिम का विश्लेषण किया है। इसमें रुद्रप्रयाग को सबसे ज्यादा संवेदनशील जिला पाया गया है, जिसके बाद पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी में भी भारी भूस्खलन की आशंका जताई गई है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी तबाही
यह पहली बार नहीं है जब उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही मची हो। इससे ठीक एक महीने पहले, 5 अगस्त को धराली गांव में बादल फटने से खीरगंगा में भयानक बाढ़ आई थी। उस घटना में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई होटल और घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा था।
ये बार-बार हो रही घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि उत्तराखंड का भूभाग अत्यधिक नाजुक है और यहां के निवासियों को हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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