देहरादून : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देश की प्रथम नागरिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तराखंड की पवित्र भूमि से योग का एक बड़ा संदेश दिया। यह संदेश था ‘एक भारत, स्वस्थ भारत’—जो योग के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य और सामूहिक कल्याण की दिशा में एक मजबूत कदम है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने उत्तराखंड से योग का किया नेतृत्व
उत्तराखंड, जो योग और आध्यात्म की भूमि के रूप में विख्यात है, आज पूरे देश की नजरों में केंद्र बन गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देवभूमि से योगाभ्यास कर लोगों को योग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने योग को केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का मूल आधार बताया।
राष्ट्रपति ने सूर्य नमस्कार, वृक्षासन, और प्राणायाम जैसे योगासन करते हुए योग दिवस को यादगार बनाया। इस आयोजन में स्कूली छात्र, स्थानीय नागरिक, प्रशासनिक अधिकारी और सेना के जवान भी शामिल हुए, जिन्होंने राष्ट्रपति के साथ योग का अभ्यास किया।
योग और उत्तराखंड: आध्यात्मिकता से आधुनिकता तक
उत्तराखंड को योग का गढ़ माना जाता है। ऋषियों की तपस्थली और चारधाम यात्रा का मार्ग होने के कारण यह राज्य आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है। राष्ट्रपति मुर्मु का यहां योग करना एक प्रतीकात्मक कड़ी है जो यह दर्शाती है कि योग की परंपरा न केवल इतिहास में गहरी है बल्कि आधुनिक भारत में इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है।
इस कार्यक्रम ने राज्य के योग पर्यटन और वेलनेस ट्रैवल को बढ़ावा देने की संभावनाओं को भी बल दिया। आने वाले समय में चारधाम यात्रा के साथ योग पर्यटन को जोड़कर उत्तराखंड को एक नया आयाम मिलने की उम्मीद है।
‘एक भारत, स्वस्थ भारत’ का सशक्त संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा,
योग भारत की सांस्कृतिक विरासत है और यह हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है। योग से न केवल हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि हमारा मन और समाज भी सशक्त होता है। आइए, हम सब मिलकर योग को जन-जन तक पहुंचाएं और स्वस्थ भारत का निर्माण करें।
यह बयान न केवल योग दिवस के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी बताता है कि योग कैसे राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक सशक्त उपकरण बन सकता है।
प्रशासन और स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी
इस खास आयोजन में उत्तराखंड सरकार ने पूर्ण सहयोग प्रदान किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति की उपस्थिति को राज्य के लिए गौरव की बात बताया और कहा कि योग से जुड़ी गतिविधियों को राज्य सरकार बढ़ावा दे रही है।
स्थानीय प्रशासन ने भी योग दिवस को भव्य रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिससे बड़ी संख्या में लोग इस उत्सव में शामिल हो सके। इस तरह के आयोजन न केवल योग को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि स्थानीय रोजगार और पर्यटन के लिए भी लाभकारी साबित होते हैं।
योग दिवस का वैश्विक महत्व और भारत की भूमिका
भारत ने योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना इसका प्रमाण है। इस वर्ष की थीम “Yoga for Self and Society” इस बात पर जोर देती है कि योग केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।
राष्ट्रपति मुर्मु के नेतृत्व में उत्तराखंड से मनाया गया योग दिवस इस वैश्विक संदेश को और भी मजबूती देता है। यह दर्शाता है कि भारत अपने सांस्कृतिक मूल्यों को न केवल संजो रहा है बल्कि उन्हें आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालकर विश्व के सामने प्रस्तुत भी कर रहा है।
योग से रहें निरोग एक पहल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा उत्तराखंड से योग दिवस मनाना सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि योग को जन-जन तक पहुंचाने की एक सशक्त पहल है। यह पहल स्वास्थ्य, आध्यात्म और राष्ट्र निर्माण के तीनों स्तंभों को जोड़ती है। ऐसे कार्यक्रम न केवल योग को बढ़ावा देते हैं बल्कि देश को एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाते हैं।
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