Traffic Jam in Dehradun: शहर जाम में जकड़ा – राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त

Mandeep Singh Sajwan
Traffic Jam in Dehradun: शहर जाम में जकड़ा – राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त

देहरादून, 22 जून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की आधिकारिक यात्रा के चलते देहरादून शहर आज पूरे दिन जाम की चपेट में रहा। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र कई मुख्य सड़कों को बंद कर दिया गया, जिससे ऑफिस जाने वाले कर्मचारी, स्कूल और कॉलेज के छात्र, मेडिकल इमरजेंसी वाले मरीज और आम लोग घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहे।


सड़कों पर ट्रैफिक का आलम यह था कि राजपुर रोड, घंटाघर, बल्लीवाला चौक, आईएसबीटी, और जीएमएस रोड जैसी मुख्य जगहों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। कई जगहों पर लोग गाड़ियों से उतरकर पैदल ही अपने गंतव्य की ओर बढ़ते दिखे।

आम जनता में नाराज़गी

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में इस असुविधा को लेकर खासा गुस्सा देखा गया। एक दफ्तर कर्मचारी ने कहा, "हम रोज़ टैक्स देते हैं, लेकिन जब हमें सुविधा की ज़रूरत होती है, तो सरकार सिर्फ वीआईपी मूवमेंट को प्राथमिकता देती है।"


एक छात्रा ने बताया, "मेरी परीक्षा थी लेकिन समय पर पहुंच नहीं पाई। राष्ट्रपति का स्वागत ज़रूरी है, लेकिन क्या जनता की परेशानी कोई मायने नहीं रखती?"


एक यूजर ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा "जब राष्ट्रपति आते हैं, तो हम पूरी तरह से समझते हैं और प्रबंधन के साथ सहयोग भी करते हैं (हालाँकि, ईमानदारी से कहें तो प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं होता)। लेकिन जब कभी-कभी कोई रैंडम काफिला तेज़ी से निकलता है, हमें सड़क से हटने पर मजबूर किया जाता है — कभी-कभी तो गालियाँ तक सुननी पड़ती हैं — सिर्फ इसलिए क्योंकि कोई मंत्री गुज़र रहा है, तो यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।"


राष्ट्रपति आते हैं, तो हम पूरी तरह से समझते हैं और प्रबंधन के साथ सहयोग भी करते हैं (हालाँकि, ईमानदारी से कहें तो प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं होता)।



प्रशासन की सफाई

प्रशासन का कहना है कि राष्ट्रपति की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य है। पुलिस द्वारा ट्रैफिक डायवर्जन की सूचना पहले ही जारी कर दी गई थी, लेकिन सवाल यह है कि क्या बेहतर योजना बनाकर आम लोगों को इतनी परेशानी से बचाया जा सकता था?


क्या अब ऐसे दौरे सोच-समझकर होंगे?

हर बार किसी वीआईपी के दौरे पर शहर को ठहर जाने पर मजबूर होना पड़ता है। क्या अब वक्त नहीं आ गया है कि प्रशासन जन-सुविधा को ध्यान में रखते हुए इन यात्राओं की योजना बनाए?

आम लोगों की यही प्रार्थना है – "अगली बार अगर कोई वीआईपी दौरा हो, तो कम से कम हमारी दिनचर्या न बिगड़े।"


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