LBSNAA के 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह में अमित शाह ने युवा अधिकारियों को दिए महत्वपूर्ण सुझाव

Editorial Staff

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी (लबासना) में 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे सरकार को प्रतिक्रियाशील (रेस्पॉन्सिव) नहीं, बल्कि सक्रिय (एक्टिव) बनाएं, ताकि विकास की योजनाएं देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सकें। उन्होंने युवा अधिकारियों को भविष्य में बेहतर कार्य करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उनका कहना था कि प्रगति वही कर सकता है, जिसके अंदर अंतिम सांस तक सीखने की इच्छा बनी रहती है।

Amit shah receiving monument in LBSNAA mussoorie 2024

अमित शाह ने लबासना के मंच से देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के लक्ष्य को भी दोहराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज यहां एक ऐसा समूह मौजूद है, जो विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में जुटा हुआ है। 

यह समूह अभ्यास, मेहनत और ऊर्जा से भरा हुआ है। हमें मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करना है, जहां सभी नागरिक आत्मसम्मान के साथ अपनी अगली पीढ़ी का नेतृत्व कर सकें। 

उन्होंने कहा कि भारत को हर क्षेत्र में पहले स्थान पर लाने के लिए 140 करोड़ लोगों को एकजुट होकर काम करना होगा।

शाह ने यह भी कहा कि सिविल सेवा में 'स्व से पर' का सिद्धांत, यानी अपने से पहले दूसरों के बारे में सोचने से बड़ा कोई मंत्र नहीं । सार्वजनिक जीवन में जाने के बाद अधिकारियों को लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास करने चाहिए। 

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उन्होंने युवा अधिकारियों को यह कार्य सौंपा कि वे जहां भी पोस्टिंग पाएं, वहां के विभिन्न डेटा को एआई की मदद से एकत्रित करें। ये छोटे-छोटे प्रयोग देश के विकास में सहायक सिद्ध होंगे। विकास केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि वास्तविक परिणामों से होता है। 

LBSNAA के 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह में अमित शाह ने युवा अधिकारियों को दिए महत्वपूर्ण सुझाव

उन्होंने जीएसटी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब यह लागू हुआ था, तब अर्थशास्त्रियों ने इसे भारत में सफल होने के लिए संदेहास्पद माना था, लेकिन यह आज आर्थिक विकास का मुख्य आधार बन चुका है। उन्होंने 'मेक इन इंडिया' को आने वाले दिनों में देश का गौरव बताया।

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शाह ने यह भी कहा कि समस्याओं का समाधान व्यथा से नहीं, बल्कि व्यवस्था से निकाला जा सकता है। चिंता करने की बजाय चिंतन करना चाहिए, क्योंकि चिंता हमारी सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है। इस संदर्भ में उन्होंने योग और ध्यान को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। 

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समस्याओं के समाधान के लिए रोड-मैप बनाना, माइक्रो प्लानिंग करना और उसे लागू करना एवं निरंतर फॉलो-अप करना अत्यंत आवश्यक है। महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने कहा कि आज उपस्थित चयनित सिविल सेवा अधिकारियों में 38 प्रतिशत महिलाएं हैं। 

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उन्होंने यह भी कहा कि जब तक देश की 50 प्रतिशत जनसंख्या नीति निर्धारण में शामिल नहीं होगी, तब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'महिला नेतृत्व विकास' का सपना पूरा नहीं हो सकेगा।

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