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कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश का पार्थिव शरीर देर रात हल्द्वानी पहुंचा, सोमवार को होगा अंतिम संस्कार

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का रविवार को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।


 कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का रविवार को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 80 वर्ष की थीं। अब उनका अंतिम संस्कार कल यानि 14 जून को हल्द्वानी में होगा। रविवार देर शाम उनका पार्थिव शरीर रुद्रपुर पहुंचा। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और लोगों ने वाहन रुकवाकर इंदिरा को श्रद्धांजलि अर्पित की। वाहन में इंदिरा के पुत्र सुमित हृदयेश भी मौजूद रहे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से श्रद्धांजलि देने के बाद शव वाहन देर रात हल्द्वानी पहुंच गया। बता दें कि इंदिरा के तीन पुत्र हैं, जिनमें से एक बेटे सुमित राजनीति के क्षेत्र में हैं।  मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के अंतिम दर्शन यात्रा में सोमवार को हल्द्वानी में शामिल होंगे।


सीएम तीरथ सोमवार सुबह सवा छह बजे दिल्ली से हल्द्वानी के लिए प्रस्थान करेंगे और सुभाषनगर में उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। पौने नौ बजे वे वहां से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन पर सोमवार को नैनीताल जिले के सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। सचिवालय सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से आदेश जारी किए गए। आदेश में साफ किया गया कि जिस जिले में अंत्येष्टि होगी, वहां उस दिन सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। रविवार को राजधानी झंडे झुकाए गए। अंत्येष्टि वाले दिन जिस जिले में अंत्येष्टि हो रही है, वहां झंडे झुकाए जाएंगे। अंत्येष्टि पूरे पुलिस सम्मान के साथ होगी। संयुक्त सचिव कविंद्र सिंह की ओर से आदेश जारी किए गए।


अंदाज: ई-रिक्शा पर बैठकर ग्रामीणों के बीच पहुंची थीं इंदिरा हृदयेश

काशीपुर। 21 जनवरी को नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश आखिरी बार काशीपुर पहुंची थी। तब इंदिरा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के साथ 'घर-घर कांग्रेस, बूथ-बूथ कांग्रेस' कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। इस दौरान वह अलग ही अंदाज में प्रदेश अध्यक्ष के साथ ई-रिक्शा में बैठकर ग्रामीणों के बीच पहुंची थी। यूपी विधान परिषद से अपना राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाली संसदीय ज्ञान की ज्ञाता इंदिरा हृदयेश का सफर उत्तराखंड में आकर नेता प्रतिपक्ष के रूप में समाप्त हुआ। इंदिरा की मृत्यु संसदीय परंपराओं में एक गहरा शून्य पैदा करेगी। 

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