फर्जी आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट : पांच हजार में तय हुआ था सौदा, दो पर केस दर्ज, दे चुके हैं 22 फर्जी रिपोर्ट

Ankit Mamgain

कोरोना की जांच
कोरोना की जांच 

 मुनिकीरेती थाना क्षेत्र के ढालवाला में स्थित चेकिंग बूथ पर आरटीपीसीआर की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट बनाने के आरोप में लैब में काम करने वाली महिला समेत दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

फर्जी कोरोना रिपोर्ट मामले में कैबिनेट मंत्री का छापा, आउटसोर्स कर्मचारी हिरासत में

दूसरा आरोपी बूथ पर यात्रियों का एंटीजन टेस्ट करने वाली कंपनी का कर्मचारी था। शुक्रवार को उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के छापे में इस मामले का खुलासा हुआ था। पुलिस के अनुसार आरोपी युवक ने दिल्ली से आए आठ युवकों से फर्जी रिपोर्ट के लिए पांच हजार रुपये लिए थे। पुलिस के अनुसार आरोपी महिला इससे पहले 22 फर्जी रिपोर्ट बनाकर दे चुकी है।


एसएसपी तृप्ति भट्ट ने बताया कि शिकायत मिली थी कि ढालवाला चेकिंग बूथ पर एंटीजन टेस्ट करने वाली टीम में शामिल कुछ लोग पैसे लेकर बाहर से आने वाले यात्रियों को फर्जी आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दे रहे हैं। शुक्रवार को वहां कृषि मंत्री के छापे के बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि दिल्ली से आए आठ लोगों से पांच हजार रुपये लेकर फर्जी रिपोर्ट तैयार की गई थी।


उन्होंने बताया कि मामले में यात्रियों की एंटीजन जांच करने वाली टीम में शामिल विनय बिष्ट निवासी 14 बीघा मुनिकीरेती से पूछताछ की गई। उसने बताया कि एक पैथोलॉजी लैब में ऑपरेटर के पद पर काम करने वाली शीतल स्नेही निवासी गली नंबर-सात आंबेडकर नगर, ऋषिकेश को 1600 रुपये देकर झूठी रिपोर्ट तैयार कराई थी।

मामले की जांच की जा रही है

एसएसपी ने बताया कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साथ ही मामले की जांच की जा रही है। इस फर्जीवाड़े में कोई और भी संलिप्त पाया गया तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


मुनिकीरेती थाना प्रभारी कमल मोहन भंडारी ने बताया कि दोनों आरोपियों को नरेंद्रनगर न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया। न्यायालय के आदेश पर दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। उधर, मुनिकीरेती कोतवाली प्रभारी कमल मोहन भंडारी ने बताया कि विनय बिष्ट लैब से खास पहचान होने का हवाला देते हुए एक घंटे में आरटीपीसीआर रिपोर्ट उपलब्ध कराने की बात कहकर लोगों को फंसाता था।


वहीं शीतल फर्जी जांच रिपोर्ट का प्रिंट निकालती थी। दिल्ली से आए आठ युवकों से विनय बिष्ट ने आरटीपीसीआर जांच के लिए पांच हजार रुपये लिए थे। जिसमें से 1600 रुपये उसने शीतल स्नेही जाटव को दिए थे। कोतवाली प्रभारी के अनुसार पूछताछ में शीतल ने बताया कि इससे पहले वह 500 रुपये के हिसाब से 22 फर्जी रिपोर्ट तैयार कर दे चुकी है।


दोनों के खिलाफ संबधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है। वहीं शीतल जिस लैब में काम करती थी उसके संचालक और एक अन्य कर्मचारी से भी पूछताछ की जा रही है।

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