वसुधैव कुटुबंकम की भावना को जागृत करता है महाकुंभ

Ankit Mamgain

परमार्थ निकेतन में आयोजित कुंभ कांक्लेव के समापन के दौरान आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती
परमार्थ निकेतन में आयोजित कुंभ कांक्लेव के समापन के दौरान आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती 

 ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन आश्रम में आयोजित महाकुंभ हरिद्वार की दिव्यता और भव्यता के तत्वदर्शन पर आधारित दो दिवसीय कुंभ कॉन्क्लेव 2021 का परमार्थ गंगा तट पर आरती के साथ समापन हो गया। कार्यक्रम के समापन पर भारतीय जीवन दर्शन को जीवंत बनाने में आध्यात्मिक स्थलों, अखाड़ों, मठों की भूमिका पर मंथन किया गया।।


बृहस्पतिवार को आयोजित कार्यक्रम में आश्रमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि समुद्र मंथन के समय से ही कुंभ की परंपरा रही है, इस कुंभ परंपरा के माध्यम से भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता का आज भी स्थापना हो रहा है। आज संपूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता को स्वीकार कर रहा है, योग दिवस के माध्यम से, अध्यात्म के माध्यम से या फिर कोविड-19 महामारी के इस काल में आयुर्वेद के माध्यम से वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा का सबसे बड़ा उदाहरण आज हमारी संस्कृति ही है।


उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल नंदी ने कहा कि आज हमारे देश को कुंभ की बड़ी आवश्यकता है। राष्ट्र को सूत्रबद्ध करने की, राष्ट्र को एकजुट करने की, और कुंभ की आस्था को पुर्नस्थापित करती है। करोड़ों लोग केवल एक पंचांग की पंक्ति को पढ़कर मां गंगा के प्रति, नदियों और जल के प्रति, संस्कृति के प्रति आस्था लेकर बिना किसी व्यवस्था की चिंता करते हुए कुंभ स्नान के लिए एक ही दिन और एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाते हैं। यह सूत्रबद्धता नहीं, एकजुटता नहीं तो और क्या है। वर्तमान में केंद्र और समान विचार की राज्य सरकारें भारतीय संस्कृति और राष्ट्र उत्थान के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही हैं। इस मौके पर कपिल मिश्रा, सौरभ पांडे, अखिलेश मिश्रा, प्रो. गिरीशचंद तिवारी, गोपाल कृष्ण अग्रवाल आदि शामिल थे।

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