उत्तराखंडः देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र होगा पूरी तरह से ईको फ्रेंडली

Ankit Mamgain
हिम तेंदुआ - फोटो : फाइल फोटो
हिम तेंदुआ - फोटो : फाइल फोटो

देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र उत्तरकाशी जनपद में आकार लेने जा रहा है। केंद्र निर्माण के लिए डिजाइन और ड्राइंग लगभग तैयार कर ली गई है, जिसके अनुरूप कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है।

विशेषज्ञों की मानें तो यह केंद्र पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होगा। इसमें ईंट की बजाए पत्थर, मिट्टी और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा। निर्माण के दौरान न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट का ध्यान रखते हुए कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम राज्यों में हिमालय की जैव विविधता, हिम तेंदुओं और उनके प्रवास स्थलों के संरक्षण के लिए ‘सिक्योर हिमालय परियोजना’ चलाई जा रही है। इसी परियोजना के तहत गंगोत्री नेशनल पार्क से सटे भैरोंघाटी लंका क्षेत्र में संरक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता विभुविश्वमित्र रावत ने बताया कि डीपीआर तैयार की जा रही है, जिसमें न्यूनतम सीमेंट और सरिया उपयोग का प्रावधान है। डीएफओ दीपचंद आर्य ने भी बताया कि प्रक्रिया प्रगति पर है।

डिजाइन और ड्राइंग बन चुकी है। करीब सवा तीन करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह केंद्र पर्यटकों को आकर्षित करेगा। इसके जरिए ईको टूरिज्म और एडवेंचर को बढ़ावा मिलेगा, जिससे हर्षिल, धराली और बगोरी गांवों के लोगों को रोजगार मिलेगा।

- सुशांत पटनायक, मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल

स्नो लैपर्ड ट्रेल शुरू करने की भी तैयारी

केंद्र के आसपास स्नो लैपर्ड ट्रेल और ट्रैक भी विकसित किए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को हिम तेंदुआ और उसके प्राकृतिक वास स्थल को नजदीक से देखने का अवसर मिलेगा। साथ ही एक लर्निंग ब्लॉक बनाया जाएगा, जिसमें संरक्षण पर आधारित लघु फिल्में दिखाई जाएंगी और विश्वभर के संरक्षण प्रयासों की जानकारी दी जाएगी।

क्या है कार्बन फुटप्रिंट?

कार्बन फुटप्रिंट का अर्थ किसी संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया गया कुल कार्बन उत्सर्जन होता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।

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