देहरादून: सोशल मीडिया पर 'फेसबुक/मेटा के नए नियम' के बारे में वायरल हो रहे एक संदेश ने कई उपयोगकर्ताओं को चिंतित कर दिया है। यह संदेश दावा करता है कि अगर उपयोगकर्ता इसे कॉपी-पेस्ट नहीं करते हैं, तो उनकी प्राइवेसी प्रभावित होगी और फेसबुक/मेटा के नए नियम लागू हो जाएंगे। हालांकि, यह संदेश पूरी तरह से फर्जी है और इसे लेकर पुलिस ने भी अलर्ट जारी किया है।
इस फर्जी संदेश की जांच से पता चला है कि यह एक अफवाह है और इसका कोई आधिकारिक आधार नहीं है। यह दावा कि आपकी प्राइवेसी को बचाने के लिए इस संदेश को कॉपी-पेस्ट करना जरूरी है, पूरी तरह से गलत है। फेसबुक या मेटा जैसी बड़ी कंपनियां अपनी नीतियों में किसी भी बदलाव की घोषणा आधिकारिक तौर पर अपने प्लेटफॉर्म, वेबसाइट या समाचार माध्यमों के जरिए करती हैं, न कि ऐसे फॉरवर्ड किए गए संदेशों के जरिए।
मुख्य बिंदु:
- कोई आधिकारिक सूचना नहीं: फेसबुक या मेटा की ओर से इस तरह का कोई भी नया नियम या सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई है।
- प्राइवेसी पर कोई असर नहीं: आपके व्यक्तिगत डेटा या प्राइवेसी में कोई भी बदलाव केवल कंपनी के आधिकारिक नोटिसों में बताया जाता है। किसी भी कॉपी-पेस्ट संदेश में ऐसा कोई अधिकार नहीं है।
- अफवाहों से बचें: ऐसे संदेशों को आगे बढ़ाना केवल अफवाहों को बढ़ावा देता है। यह समय और ऊर्जा की बर्बादी है।
- केवल विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करें: फेसबुक की आधिकारिक वेबसाइट, मेटा के पेज या सरकार-मान्यता प्राप्त साइबर सुरक्षा विभागों की सूचनाओं पर ही विश्वास करें।
उत्तराखंड पुलिस का अलर्ट
उत्तराखंड पुलिस ने भी इस मामले में स्पष्टीकरण जारी करते हुए लोगों को इस संदेश को फेक मानने की सलाह दी है। पुलिस ने कहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस तरह की झूठी खबरों से सावधान रहें और उन्हें आगे बढ़ाने से बचें।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि 'फेसबुक/मेटा के नए नियम' वाला संदेश पूरी तरह से फर्जी है। इसे कॉपी-पेस्ट करने या आगे फैलाने से आपकी प्राइवेसी या अकाउंट की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें, तथ्यों की जांच करें और केवल विश्वसनीय सूचनाओं पर भरोसा करें। अपनी सुरक्षा और सही जानकारी को प्राथमिकता दें।

