देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को 'एक पेड़ मां के नाम (EK Ped Maa Ke Naam)' अभियान के तहत सरकारी आवास परिसर में अपनी मां बिश्ना देवी और बेटे दिवाकर के साथ पौधे लगाए। इस भावनात्मक पहल ने राज्य भर में हलचल मचा दी है और पर्यावरण संरक्षण को एक नया आयाम दिया है।
Ek Ped Maa ke Naam से माँ को सम्मान और पर्यावरण को दिया जा रहा वरदान!
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य हर व्यक्ति को अपनी मां के सम्मान में एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करना है। मुख्यमंत्री धामी ने जोर देकर कहा कि मां जीवन की पहली गुरु होती हैं और पर्यावरण हमें जीवन देता है। उन्होंने कहा, "मां और प्रकृति दोनों की सेवा करना हमारा कर्तव्य है। यह अभियान समाज में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का संदेश भी देता है।"
क्या है यह अभियान? जानें इसका उद्देश्य और महत्व
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि यह पहल हर व्यक्ति को अपनी माँ के सम्मान में एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास है। उनका मानना है कि माँ जीवन की पहली गुरु होती हैं और पर्यावरण हमें जीवन देता है। इसलिए माँ और प्रकृति दोनों की सेवा करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे अपनी माताओं के नाम से पौधा लगाएं और उसका संरक्षण करें ताकि यह पर्यावरण संरक्षण का एक जन-आंदोलन बन सके।यह अभियान माताओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देता है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत भावनात्मक जुड़ाव के माध्यम से लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण की रक्षा हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरित वातावरण सुनिश्चित हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 को इस अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य माताओं के नाम पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना और पर्यावरण संरक्षण को मातृत्व के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में जोड़ना है। यह दिखाता है कि माताएँ भी पेड़ों की तरह जीवन का पोषण और संरक्षण करती हैं।
इस प्रकार, यह अभियान न केवल माताओं के सम्मान का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक व्यापक सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें पूरे देश के लोग, प्रशासन और संगठन सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
विशेषता | विवरण |
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अभियान का नाम | 'एक पेड़ मां के नाम' |
लॉन्च | 5 जून 2024 (पीएम मोदी द्वारा) |
उत्तराखंड में सक्रियता | मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आगे बढ़ाया गया |
मुख्य उद्देश्य | हर व्यक्ति को अपनी मां के सम्मान में एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करना |
भावनात्मक जुड़ाव | मां और पर्यावरण के बीच के रिश्ते को मजबूत करना |
प्रभाव | पर्यावरण संरक्षण को जन आंदोलन बनाना |
मुख्यमंत्री धामी ने राज्य के लोगों से अपील की है कि वे अपनी मां की याद में एक पेड़ लगाएं और उसकी देखभाल करें। उन्होंने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण हमारी सांस्कृतिक विरासत और जिम्मेदारी दोनों है। यह अभियान न केवल पर्यावरण को हरा-भरा बनाएगा, बल्कि परिवारों के बीच भावनात्मक रिश्तों को भी मजबूत करेगा।
क्यों है यह विशेष है यह अभियान ?
- भावनात्मक जुड़ाव: "माँ के नाम" पर पेड़ लगाने की अपील सीधे लोगों की भावनाओं से जुड़ती है।
- वीआईपी भागीदारी: मुख्यमंत्री और उनके परिवार की सीधी भागीदारी खबर को विश्वसनीयता और महत्व देती है।
- राष्ट्रीय अभियान: प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया अभियान होने के कारण इसका राष्ट्रीय महत्व है।
- पर्यावरण संकट: वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक मुद्दा है, जो इस खबर को और भी प्रासंगिक बनाता है।
- सरल और प्रेरक संदेश: अभियान का संदेश स्पष्ट और प्रेरित करने वाला है।
इस अभियान से जुड़ी जनता की उम्मीदें
उत्तराखंड के लोग इस अभियान को पर्यावरण संरक्षण और मातृ सम्मान का अनूठा संगम मान रहे हैं। वे इसे न केवल प्रकृति की रक्षा का माध्यम समझते हैं, बल्कि अपनी माताओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक सशक्त तरीका भी मानते हैं।
कई सामाजिक संगठन, स्कूल, कॉलेज और स्थानीय नागरिक इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वे सामूहिक रूप से वृक्षारोपण कर प्रदेश में हरियाली बढ़ाने का संकल्प ले रहे हैं। इससे न केवल पर्यावरण बेहतर होगा, बल्कि लोगों में जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी मजबूत होगी।
जनता की यह उम्मीद है कि 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान से उत्तराखंड का स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण बनेगा, जिससे आने वाली पीढ़ियां स्वच्छ हवा, पानी और प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठा सकेंगी। साथ ही, यह अभियान सामाजिक एकजुटता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण को भी बढ़ावा देगा।
इस प्रकार, यह पहल उत्तराखंड के लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी है, जो उन्हें अपने पर्यावरण और मातृभूमि दोनों के प्रति जिम्मेदार बनाती है।
उत्तराखंड की यह अनोखी पहल देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकती है। तो आप कब लगा रहे हैं 'एक पेड़ मां के नाम'? इस पुण्य कार्य में शामिल होकर पर्यावरण और अपनी मां दोनों का सम्मान करें!
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