Tech News Hindi: AI की वैश्विक रेस में अलीबाबा का Qwen3 बनाम मस्क का Grok 3.5

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Tech News Hindi: AI की वैश्विक रेस में अलीबाबा का Qwen3 बनाम मस्क का Grok 3.5

नई दिल्ली 
— वैश्विक तकनीकी क्षेत्र में एक नई स्पर्धा ने जोर पकड़ लिया है। चीन और अमेरिका के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल्स की होड़ में अब अलीबाबा का नया ओपन-सोर्स मॉडल Qwen3 और एलन मस्क का उन्नत मॉडल Grok 3.5 आमने-सामने हैं।

इस तकनीकी जंग में दोनों देशों के टॉप टेक दिग्गज अगली पीढ़ी की AI क्षमताओं के साथ एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में लगे हैं।

अलीबाबा का Qwen3: अब तक का सबसे बड़ा ओपन-सोर्स AI इकोसिस्टम

चीन की टेक दिग्गज अलीबाबा ने मंगलवार को अपने AI मॉडल Qwen3 की तीसरी पीढ़ी लॉन्च की, जिसमें विभिन्न आकारों के मॉडल शामिल हैं। सबसे बड़े मॉडल में 235 बिलियन पैरामीटर्स हैं, जो कंपनी के अनुसार OpenAI के o1 और DeepSeek-R1 जैसे प्रमुख अमेरिकी मॉडल्स से बेहतर प्रदर्शन करता है।

अलीबाबा क्लाउड द्वारा निर्मित Qwen3 को ओपन-सोर्स AI प्लेटफॉर्म Hugging Face पर रिलीज किया गया है। इसके अलावा, इसका एक बेहद हल्का वर्जन केवल 600 मिलियन पैरामीटर्स के साथ स्मार्टफोन पर भी चलने की संभावना रखता है।

यह मॉडल Qwen2.5-Max के लॉन्च के केवल तीन महीने बाद आया है, जो इस क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास और प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।

एलन मस्क का जवाब: Grok 3.5 बीटा लॉन्च

Qwen3 की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, एलन मस्क ने अपनी कंपनी xAI द्वारा विकसित Grok 3.5 का बीटा वर्जन अपने प्रीमियम SuperGrok सब्सक्राइबर्स के लिए जारी किया। मस्क ने दावा किया कि यह AI मॉडल तकनीकी क्षेत्रों जैसे रॉकेट इंजन और इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री पर भी सटीक उत्तर देने में सक्षम है।

उनके अनुसार, Grok 3.5 इस तरह का पहला AI है जो जटिल वैज्ञानिक प्रश्नों का भी बारीकी से विश्लेषण कर सकता है। इससे स्पष्ट है कि अमेरिका भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता।

स्टैनफोर्ड रिपोर्ट: चीन ने कम किया फासला

हाल ही में प्रकाशित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट बताती है कि चीन ने AI के क्षेत्र में अमेरिका से पिछड़ने का अंतर तेजी से कम किया है।

चीन के ओपन-सोर्स मॉडल जैसे Qwen3 और DeepSeek-R1 वैश्विक डेवलपर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। Qwen3 पर आधारित 100,000 से अधिक डेरिवेटिव मॉडल्स बन चुके हैं, जो Meta के Llama 4 मॉडल से कहीं अधिक हैं।

तकनीकी शक्ति बनाम सॉफ्ट पावर

AI विशेषज्ञ नाथन लैम्बर्ट के अनुसार, "चीनी ओपन-सोर्स मॉडल्स अमेरिका में सॉफ्ट पावर के रूप में उभर रहे हैं। ये कंपनियां न केवल तकनीकी नवाचार कर रही हैं, बल्कि वैश्विक AI इकोसिस्टम पर भी प्रभाव डाल रही हैं।"

उनका मानना है कि अमेरिकी डेवलपर्स को इन मॉडलों से तकनीकी प्रेरणा लेनी चाहिए, क्योंकि इनकी ऊर्जा दक्षता और व्यापक उपयोग की क्षमता कहीं अधिक है।

क्या यह AI शीत युद्ध की शुरुआत है?

चीन और अमेरिका के बीच यह AI होड़ अब केवल तकनीक की बात नहीं रही, यह अब रणनीतिक प्रभुत्व की लड़ाई बन गई है।

जहां चीन तेजी से अपने ओपन-सोर्स मॉडल्स के जरिए वैश्विक बाजार में पैठ बना रहा है, वहीं अमेरिका नवाचार और निजी कंपनियों के बलबूते अपने वर्चस्व को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। आने वाले महीनों में यह स्पर्धा और भी तेज होने की संभावना है।

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