DEHRADUN | देहरादून और मसूरी वन प्रभागों में जापान की मियावाकी तकनीक से पौधरोपण की योजना को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। वन विभाग के अनुसंधान हल्द्वानी के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) कार्ययोजना संजीव चतुर्वेदी ने इस योजना के प्रस्ताव में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। उन्होंने इसे दुनिया की सबसे महंगी पौधरोपण योजना बताया है और मामले की जांच की मांग की है।
क्या है मियावाकी तकनीक से पौधरोपण की योजना में गड़बड़ी का मामला?
सीसीएफ संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक को पत्र लिखकर देहरादून वन प्रभाग में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण के प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं। इस योजना के तहत 18,333 पौधों की खरीद 100 रुपये प्रति पौधे की दर से 18,33,300 रुपये में करने का प्रस्ताव है।
चतुर्वेदी का कहना है कि जब वन विभाग की नर्सरी में एक पौधा मात्र 10 रुपये में तैयार हो सकता है, तो 100 रुपये प्रति पौधा की दर से खरीद का औचित्य क्या है?
उन्होंने इस लागत को 10 गुना ज्यादा बताते हुए पूरी योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि कुल 52.40 लाख रुपये की लागत वाली इस योजना में कई बिंदुओं पर संदेह है, जिसकी गहन जांच जरूरी है।
मसूरी वन प्रभाग की योजना भी सवालों के घेरे में
इसी तरह मसूरी वन प्रभाग की छह रेंजों में 4.25 करोड़ रुपये की लागत से पौधरोपण के प्रस्ताव पर भी सीसीएफ ने आपत्ति जताई है। उन्होंने योजना के तहत सात से आठ फीट ऊंचाई के पौधे लगाने के प्रस्ताव पर भी सवाल उठाए। पत्र में कहा गया है कि मियावाकी तकनीक के तहत छोटे पौधे लगाए जाने चाहिए, जिन्हें इतनी ऊंचाई पाने में दो से तीन साल लगते हैं। लेकिन प्रस्ताव में इस तकनीकी पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया है।
जांच के आदेश
मुख्य वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू करा दी है। वन विभाग आमतौर पर पौधरोपण के लिए बीज बुआई और पौधे लगाने, दोनों तरीकों का इस्तेमाल करता है। हाल के वर्षों में मियावाकी तकनीक से छोटे क्षेत्र में घनी हरियाली लाने के लिए भी प्रयोग किए जा रहे हैं, लेकिन इस बार लागत और प्रक्रिया को लेकर सवाल उठे हैं।
निष्कर्ष
देहरादून और मसूरी में मियावाकी पौधरोपण योजना की लागत और प्रक्रिया को लेकर उठे सवालों ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। अब जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि योजना में वाकई कोई गड़बड़ी हुई है या नहीं। फिलहाल, विभागीय स्तर पर इस मामले की बारीकी से जांच चल रही है।
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