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Uttarakhand Landslide News, Image credit: Hindustan. |
पिथौरागढ़, उत्तराखंड: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पिथौरागढ़ जिले के तवाघाट नेशनल हाईवे पर भूस्खलन और चट्टानों के गिरने से सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) की जुम्मा बड़गाम झूला पुल स्थित आउटपोस्ट (सीमा चौकी) गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई। इस घटना में एक जवान घायल हो गया, जबकि दो अन्य बाल-बाल बचे। यह घटना सोमवार रात भारी बारिश के बीच हुई। इस बीच, धारचूला-लिपुलेख राष्ट्रीय राजमार्ग भी 24 घंटे से अधिक समय तक बंद रहने के बाद हल्के वाहनों के लिए खोल दिया गया है, जिससे फंसे हुए पर्यटकों और स्थानीय लोगों को राहत मिली है।
जुम्मा बड़गाम चौकी पर आफत: कैसे हुआ हादसा?
सोमवार रात लगभग 9:42 बजे, तवाघाट नेशनल हाईवे के ऊपर स्थित पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा और विशाल बोल्डर एसएसबी की जुम्मा बड़गाम आउटपोस्ट पर आ गिरे। बोल्डर इतनी तेज़ गति से आए कि उन्होंने चौकी की दीवारों को तोड़ दिया और अंदर भारी नुकसान पहुंचाया। एसएसबी डीडीहाट के असिस्टेंट कमांडेंट जुबैर अहमद ने बताया कि घटना के समय तीन जवान रात्रि गश्त पर चौकी में तैनात थे।
दो जवानों की जान बचाने वाला 'सिग्नल' कनेक्शन
आश्चर्यजनक रूप से, चौकी में फोन सिग्नल न होने के कारण दो जवानों की जान बच गई। घटना के समय, जवान महाजन मोहन रविंद्र (महाराष्ट्र निवासी) चौकी के अंदर थे और उनके पैर में चोट आई है। वहीं, दो अन्य जवान, जो फोन पर बात करने के लिए चौकी से करीब 20 मीटर दूर गए हुए थे, मलबे की चपेट में आने से बच गए।
अगर वे चौकी के अंदर होते, तो यह दुर्घटना कहीं अधिक भीषण हो सकती थी। घटना के बाद, जुम्मा आउटपोस्ट से संपर्क टूट गया, जिसके बाद एसएसबी की तवाघाट और दोबाट बीओपी (बॉर्डर आउटपोस्ट) से टीमें मौके पर भेजी गईं।
घायल जवान को तत्काल धारचूला अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी हालत स्थिर बताई है।
लिपुलेख हाईवे पर यातायात बहाल: पर्यटकों को मिली राहत
सोमवार रात हुई भारी बारिश के कारण कुलागाड़ के पास धारचूला-लिपुलेख नेशनल हाईवे पर भी विशाल बोल्डर और मलबा आ गया था, जिससे मंगलवार को पूरे दिन सड़क पर वाहनों की आवाजाही ठप रही।
आदि कैलाश, ओम पर्वत और पंचाचूली के दर्शन के लिए आए सैकड़ों पर्यटक और स्थानीय लोग सड़क के दोनों ओर फंसे रहे, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
धारचूला के एसडीएम मंजीत सिंह ने स्थिति का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचकर संबंधित कार्यदायी संस्था को सड़क खोलने के लिए त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
उनके प्रयासों के बाद, मंगलवार देर शाम को हाईवे को हल्के वाहनों के लिए खोल दिया गया, जिससे फंसे हुए यात्रियों को अपनी यात्रा जारी रखने में मदद मिली। अभी भी भारी वाहनों के लिए सड़क खोलने का कार्य प्रगति पर है।
बारिश का कहर और सीमावर्ती क्षेत्रों की चुनौतियाँ
यह घटना उत्तराखंड के सीमावर्ती और पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के दौरान होने वाले भूस्खलन और चट्टानों के गिरने के खतरों को उजागर करती है। एसएसबी जैसी सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऐसी दुर्गम परिस्थितियों में अपनी चौकियों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
राज्य सरकार और संबंधित विभाग लगातार ऐसे मार्गों पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और मॉनसून के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को सक्रिय रखने पर जोर दे रहे हैं। आने वाले समय में, ऐसे बुनियादी ढांचों को अधिक मजबूत बनाने और मौसम संबंधी चेतावनियों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण होगा ताकि ऐसी घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
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