एक्सक्लूसिव: 16 हजार करोड़ की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में फंसा मुआवजे का पेच

Ankit Mamgain

 

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन(फाइल फोटो)
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन(फाइल फोटो)

उत्तराखंड की सबसे महत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में प्रभावित परिवारों को भी मुआवजा देने का पेच फंस गया है। इस मामले में परियोजना निर्माण से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए गठित ट्रिब्यूनल ने भू स्वामी के अलावा प्रभावितों को भी मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल के इस फैसले ने राज्य सरकार को धर्मसंकट में डाल दिया है। चिंता में डूबी प्रदेश सरकार ने अब इस पेच को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार का सहारा लेने का फैसला किया है।



करीब 16 हजार करोड़ की इस परियोजना को 2025 तक हर हाल मेें पूरा करने का इरादा जाहिर किया जा रहा है। परियोजना को गति देने के लिए मुआवजे के लिए इस परियोजना का निर्माण कर रहे रेल विकास निगम ने करीब 496 करोड़ रुपये का इंतजाम भी किया हुआ है। अब इस मुआवजे को बांटने में ही पेच फंस गया है। रेल परियोजना निर्माण में शिकायतों को निपटाने के लिए गठित ट्रिब्यूनल ने रेल विकास निगम को प्रभावित या हितबद्ध परिवारों को भी मुआवजा देने का आदेश दिया था।



ट्रिब्यूनल के इस आदेश से रेल विकास निगम को अब मुआवजा बांटने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे मुआवजे की राशि तो बढ़ ही जाएगी। साथ ही मुआवजा बांटने में भी अधिक समय लगेगा। इससे सरकार भी खासी चिंतित है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में अधिकारियों की बैठक में इस पर विचार भी किया गया और रास्ता निकालने के लिए केंद्र सरकार का सहयोग लेने का फैसला किया गया। 

क्या है मुआवजे को लेकर फंसा यह पेच

अधिकारियों के मुताबिक अभी तक यह तय हुआ था कि परियोजना में भूमि अधिग्रहण के मामलों में भू स्वामी को मुआवजा दिया जाए। रेल परियोजना का अधिकतर हिस्सा पर्वतीय जिलों में है। यहां गोल खातों का प्रचलन है और कई सालों से बंदोबस्त नहीं हुआ है। ऐसे में भूमि के कुछ कब्जाधारकों ने ट्रिब्यूनल से मुआवजेे की मांग की। ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि प्रभावित परिवारों को भी मुआवजा दिया जाए। ऐसे में परियोजना संचालकों को भूमि से जीवन यापन कर रहे परिवारों को भी मुआवजा देना होगा। हाल यह है कि भूमि एक व्यक्ति के नाम है और उससे जीवन यापन करने  वाले कई परिवार हैं।


राजस्व विभाग खोज रहा है तरीका

राजस्व विभाग भू स्वामियों को मुआवजा देने के पक्ष के विकल्प को भी अजमाने की कोशिश में है। इसके लिए संबंधित जिले टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली आदि के जिलाधिकारियों को हाईकोर्ट की शरण लेने को कहा गया है। इसके साथ ही तय किया गया है कि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार से राय ली जाए।


आशंका:  दूसरी परियोजनाएं न हों प्रभावित

प्रदेश में 12000 करोड़ की चार धाम सड़क परियोजना पर भी काम हो रहा है। इसमें भी बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश परियोजना में अगर प्रभावित परिवारों को मुआवजा देना पड़ा तो इस सड़क परियोजना की लागत और दिक्कतें बढ़ सकती हैं।


2013 का भूमि अधिग्रहण संबंधित अधिनियम भी आ रहा आड़े

केंद्र सरकार ने 2013 में राइट टू फेयर कंपन सेेशन एक्ट लागू किया था। इस एक्ट के तहत भूमि से जीवन यापन कर रहे परिवार, तीन साल से किराये पर रहे परिवार, कारीगरों आदि को मुआवजा  देने का प्रावधान है। 

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग  व्यवस्था

मुआवजे के इस फेर में राज्य सरकार और रेल विकास निगम अलग वजह से भी फंसे हुए हैं। मुआवजा देने के राज्यों में अलग-अलग नियम और कानून हैं। ऐसे में मुआवजा बांटना और जटिल हो  गया है।


न्याय से इस मामले में राय ली गई थी। रेल विकास निगम का मत भी लिया गया है। तय किया गया है कि केंद्र सरकार से इस मामले में राय ली जाए। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। जल्द ही इसका समाधान निकालने की कोशिश है।

-सुशील कुमार, सचिव राजस्व, उत्तराखंड


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